सुल्तानपुर,गर्भ में पल रहे बच्चे के सुरक्षित जीवन के लिए पोषक तत्व है ज़रूरी
सुल्तानपुर, 02 जून 2022 । गर्भस्थ शिशु माँ के शरीर से ही जरूरी पोषण प्राप्त करता है, इसलिए आवश्यक है कि गर्भवती को समय पर और उचित पोषण प्राप्त हो । आमतौर पर गर्भवती और गर्भस्थ शिशु के लिए पौष्टिक भोजन, फल, दूध-धी और सब्जियां आदि दिया जाता है जो कि आवश्यक हैं, पर मात्र इतने से आवश्यक पोषण की पूर्ति नहीं होती है । पौष्टिक आहार के साथ ही पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है जो माँ और शिशु दोनों को ही लाभ पहुंचाते हैं । जिला महिला चिकित्सालय की वरिष्ठ परामर्शदाता, स्त्री एवं प्रसूति रोग डॉ. तरन्नुम अख्तर ने यह जानकारी दी ।
आयरन, कैल्शियम, फ़ॉलिक एसिड आदि हैं गर्भवती के सच्चे मित्र –
डॉ. तरन्नुम अख्तर ने बताया कि गर्भवती के लिए पोषक तत्वों को अलग से सेवन करने की भी आवश्यकता होती है, यह माँ और शिशु दोनों को कई प्रकार से लाभ पहुंचाते हैं । शरीर में खून की मात्रा बनाये रखने के लिए आयरन बहुत ही जरूरी है । आयरन की कमी से गर्भवती एनीमिक हो जाती है जिससे माँ और गर्भस्थ शिशु दोनों को खतरा बना रहता है । प्रसव के दौरान भी खून जाता रहता है और कई बार मृत्यु की आशंका भी रहती है । इसलिए आवश्यक है कि गर्भवती आयरन युक्त भोजन करे और गर्भावस्था के दौरान चिकित्सक के अनुसार प्रतिदिन एक आयरन की गोली भी खाए । हरी पत्तेदार सब्जी, हरी व लाल सब्जियां और फल, गुड़, चना आदि में आयरन की भरपूर मात्रा होती है ।
उन्होंने बताया कि कैल्शियम उच्च रक्तचाप संबंधी जटिलताओं तथा जन्म के समय कम वज़न की संभावना को कम करता है, इसके साथ ही यह हड्डियों की मज़बूती के लिए भी आवश्यक है । इसका सेवन समय पूर्व प्रसव और नवजात शिशु मृत्यु को कम करने, माँ की हड्डियों में खनिज तत्वों एवं दूध के गाढ़ेपन को बढ़ाने, नवजात शिशु की हड्डियों के पूर्ण विकास और प्री एक्लेम्शिया व एक्लेम्शिया (बांह और पैरों में सूजन) से बचाव में मदद करता है। चिकित्सक के अनुसार प्रतिदिन दो समय कैल्शियम की गोली खानी चाहिए । दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे दही, पनीर छाछ आदि, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पलक, मेथी, फलियाँ, तिल आदि, सूखा नारियल, अरबी, रागी, संतरा आदि में प्राकृतिक रूप से कैल्शियम होता है ।
डॉ. तरन्नुम ने बताया कि फॉलिक एसिड भ्रूण के शुरूआती विकास के लिए बहुत ही आवश्यक तत्व होता है, इसलिए गर्भ का पता चलते ही चिकित्सक फॉलिक एसिड की गोली खाने की सलाह देते हैं । यह पालक, सलाद पत्ता, ब्रोकली, बीन्स और मूंगफली, साबूत अनाज, समुद्री फ़ूड, अंडा, मटर व खट्टे फल आदि में अपया जाता है । सामान्य महिला की तुलना में गर्भवती महिला को आयोडीन की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है क्योंकि आयोडीन की कमी का प्रभाव माँ और शिशु दोनों पर पड़ता है । आयोडीन थायराईड ग्रंथि में एकत्र होती है और थायराईड हार्मोन्स के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है । कोशिकाओं के उचित विकास के लिए, शरीर की मेटाबोलिक दर बढ़ाने, प्रोटीन के पाचन एवं अवशोषण में, हड्डियों और मस्तिष्क के विकास में थायराईड हार्मोन्स आवश्यक है । इसकी कमी से माँ और शिशुओं में गोइटर (थायराईड बढ़ जाना) तथा दिमागी कमजोरी पैदा हो सकती है । आयोडीन के लिए आयोडीन युक्त युक्त नमक, पनीर, मछली, अंडा, दूध, दही, अनाज, नट्स, मूंगफली, समुद्री फ़ूड आदि का सेवन करना चाहिए । उन्होंने कहा कि कृमि या पेट के कीड़े भी बड़ी समस्या हैं, यह ऊतकों से भोजन लेते हैं जैसे रक्त, इससे शरीर में खून की कमी हो जाती है । राउंड कृमि आंत में विटामिन ए को अवशोषित कर लेते हैं । इन सभी से कुपोषण बढ़ता है और खून की कमी के साथ ही शारीरिक वृद्धि में रूकावट आती है । गर्भवती को पेट के कीड़े निकालने के लिए गर्भावस्था के चौथे महीने में चिकित्सक के अनुसार अल्बेंडाज़ोल की एक गोली जरुर खानी चाहिए ।