सिधौली,श्री तुलसी मानस कथा सेवा संस्थान ट्रस्ट के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा जारी सुनाया श्री कृष्ण बाल रूप चित्रण
सिधौली (सीतापुर) कान्हा की छठी का दिन था। समस्त नन्द-परिवार आनन्द में लीन था। कंस का भेजा शकटासुर कन्हा के निकट पहुँच गया। बाल रूप श्री हरि ने बालसुलभ किलकारी के साथ शकटासुर पर लात से प्रहार किया तो वह कई योजन दूर जा गिरा और परमगति को प्राप्त हुआ। यह कथा श्री तुलसी मानस कथा सेवा संस्थान ट्रस्ट के सभागार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पाँचवे दिन कथा-व्यास सम्पूर्णानन्द जी महाराज ने सुनाई।
कथा-व्यास ने भगवान की बाल लीला का सुरम्य वर्णन करते हुए बताया कि जैसे-जैसे बालकृष्ण चन्द्र के समान बडे़ हो रहे थे, मृत्युभय से पीड़ित कंस अनेक राक्षसों को देवकी और वसुदेव के लाला को मारने के लिए भेजने लगा। उसने बाल-घातिनी पूतना को नन्द के गृह भेजा भयानक चेहरे वाली पूतना सुरम्य रूप धारण कर नन्द के गृह पहुँची। वात्सल्य का प्रतिरूप बन गई। भगवान को उसने अपना स्तनपान कराया। भगवान ने उसकी चोटी में अपना पैर फंसाया और मुष्टि प्रहार से उसे गोविन्द-गति प्रदान की। व्यास जी ने पूतना प्रसंग का महात्म्य बताते हुए कहा कि पूतनामोक्ष की कथा मोक्षदायिनी है। उन्होंने कृष्ण की बाललीला के अन्य प्रसंगों पर भी प्रकाश डाला। इस अवसर पर सिद्धेश्वर महादेव मन्दिर के प्रबन्धक स्वामी प्रकाशानन्द सरस्वती, महामंत्री रघुवर दयाल शुक्ल, मंगल उत्सव आयोजन समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल दीक्षित, सचिव हरिकिंकर, अधिवक्ता दिनेश शुक्ल, उमा गुप्ता सहित अनेक लोग मौजूद रहे।