जौनपुर,बच्चों की शिक्षा हेतु अभिभावकों का जागरूक होना बहुत जरूरी ,डॉ0एस0पी0सिंह
रिपोर्ट प्रवीण तिपाठी
जौनपुर,शिक्षा से ही व्यक्ति व समाज का समुचित विकास होता है | गाँव के गरीब अभिभावकों के बच्चों की शिक्षा बेसिक शिक्षा विभाग एवं शिक्षकों के लिये एक चुनौती है | मजदूरी करने वाले बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने में अनेक कठिनाइयां सामने आ रही हैं | छोटे-छोटे बच्चे अपने अभिभावकों का खाना बनाकर खेतों में पहुंचा रहे हैं ,कुछ बच्चे गेहूं की बिनिया बिन रहे हैं लेकिन उनके अभिभावकों को उन अपने बच्चों की शिक्षा की चिंता नहीं है | यदि शिक्षा की महत्ता को अभिभावक समझते तो न तो उनसे खाना बनवाते और न ही बिनिया बिनवाते | यदि वे अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूक होते तो समय से स्वयं खाना बनाकर बच्चों को विद्यालय भेजने की प्रेरणा देकर मजदूरी करने जाते |
प्राथमिक विद्यालय बघोलवा आदिवासी बस्ती विकासखंड जसरा जनपद प्रयागराज का नाम से ही पता चल जाता है कि यहां केवल आदिवासी मजदूरों के बच्चे पढ़ते हैं ,यदि इस गांव व विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था में सुधार आ जाय तो समझा जा सकता है कि कमोवेश ऐसी स्थिति के सभी विद्यालयों के बच्चों को शिक्षा व समाज की मुख्यधारा में ले आया जा सकता है |
क्या कोई जनप्रतिनिधि ,अधिकारी , समाजसेवी , प्राइवेट विद्यालयों के संचालक , विभिन्न एन0जी0ओ0 आदि के लोग ऐसे बच्चों की शिक्षा हेतु कुछ विशेष प्रयास कर सकेंगे | हम शिक्षकगण यही चाहते हैं कि बच्चे समय से नियमित रूप से विद्यालय आयें |
यदि कोई बच्चा नियमित रूप से विद्यालय आ रहा है और उसकी शिक्षा में सुधार नहीं हो रहा है तो इसकी समीक्षा होनी चाहिये और दोषियों पर नियमानुसार कार्यवाई होनी चाहिये | प्रत्येक विद्यालय में समुचित भौतिक संसाधन एवं पर्याप्त स्टाफ की व्यवस्था होनी चाहिए , शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में न लगाया जाय |बच्चों की शिक्षा हेतु सभी के उत्तरदायित्त्व निर्धारित हैं जिसे पूरा करना सभी का दायित्त्व है | व्यवस्थागत कमियों का भी ठीकरा यदि केवल शिक्षकों पर ही फोड़कर कोई अपने को बेदाग बताने का प्रयास करता है तो यह उन छोटे बच्चों के साथ विश्वासघात है |
यदि कोई बच्चा आर्थिक विपन्नता के कारण घर के कार्यों में सहयोग करने के कारण , बकरी या अन्य जानवर चराने के कारण विद्यालय नहीं आ रहा है तो इस पर सभी को विचार करना चाहिए और चिंतन करना चाहिए कि ऐसी स्थिति क्यों है ,और इसका समाधान क्या है ?
हम शिक्षक जितना सम्भव है इन बच्चों की शिक्षा हेतु अपने स्तर पर प्रयास जारी रखेंगे |