कमलापुर, विद्दुत मीटर रीडर ना आने से उपभोक्ता परेशान
रिपोर्ट,रामू शुक्ला
ग्रामीण क्षेत्रों में साल में कभी कभार या यूं कहें एक दो बार ही आते है मीटर रीडर
अधिकतर उपभोक्ताओं को सालों नहीं मिल पता है अपना विद्युत बिल
कमलापुर-सीतापुर । जनपद सीतापुर के कमलापुर उपकेंद्र के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्र में मीटर रीडर द्वारा विद्युत उपभोक्ताओं की मीटर रीडिंग ही नहीं ली जाती मीटर रीडर ऑफिस में बैठकर अधिकारियों की खाऊ कमाऊ नीति के चलते मनमाने तरीके से रीडिंग भरकर बिल भेज देते हैं जिसका खामियाजा क्षेत्रीय उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ता है ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को अक्सर मिनिमम से कम यूनिट (4 6 8 10 यूनिट) का बिल बना देते हैं बाद में जब कभी साल डेढ़ साल बाद उधर निकलते हैं तो फिर उस मीटर की संपूर्ण रीडिंग एक बार में ही चढ़ा कर उपभोक्ताओं को एक भारी-भरकम बिल थमा दिया जाता है जिसके चलते अधिकतर ग्रामीण उपभोक्ता भारी-भरकम रकम नहीं जमा कर पाते हैं और वह दिन प्रतिदिन बढ़ता चला जाता है लास्ट में सीधे-साधे ग्रामीण उपभोक्ताओं को अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा बेचकर विद्युत बिल चुकाना मजबूरी बन जाती है अगर ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को शहरी उपभोक्ताओं की तरह प्रतिमाह बिल दिया जाए तो हो सकता विद्युत विभाग में जो करोड़ों रुपए बकाया के रूप में पेंडिंग पड़ा है वह पेंडेंसी कहीं न कहीं कम हो जाए । अगर कोई उपभोक्ता इसकी शिकायत करता है तो जेई और एस डी ओ उपभोक्ताओं को गुमराह करने का काम करते हैं और कहते हैं कि हमारा मीटर रीडर हर महीने रीडिंग लेने जाता है जबकि क्षेत्र में अगर जांच की जाए तो हो सकता 1% भी मीटर रीडिंग मीटर रीडर के हिसाब से सही ना अब यह बड़ा और अहम सवाल है कि जब प्रदेश में भाजपा सरकार उपभोक्ताओं के लिए बड़े-बड़े दावे करती है ऐसे में उपभोक्ताओं को विद्युत विभाग द्वारा जो अप्रत्यक्ष रूप से परेशान किया जाता है जिसके चलते अधिकतर ग्रामीण उपभोक्ता या तो विद्युत बिल जमा ही नहीं करते या पैर लास्ट में कुछ ना कुछ संपत्ति बेचकर जमा कर विद्युत कनेक्शन विच्छेदन करने के लिए मजबूर हो जाते हैं ।