गोरखपुर,बिना जांच कराए दवा लेने से बढ़ गई थीं सुमन की जटिलताएं
टीबी चैंपियन सुमन का कहना है कि जो गलती उन्होंने की वह कोई भी न दोहराए
सरकारी अस्पताल से निःशुल्क इलाज करवा कर ठीक हुईं सुमन
गोरखपुर, 14 मार्च 2022
टीबी का लक्षण दिखते ही सरकारी अस्पताल में जांच करवाएं। अपने मन से या मेडिकल स्टोर की राय पर बुखार, बदन दर्द, कमजोरी आदि की दवा न खाएं। यह सलाह है सुमन देवी की। सुमन कभी ऐसी गलती करके खुद बीमारी की जटिल अवस्था तक पहुंच गईं थीं। हालांकि अब पूरी तरह ठीक हैं।
गोरखपुर शहर के मिर्जापुर की रहने वाली सुमन देवी (35) सिलाई-कढ़ाई का काम करती हैं। वर्ष 2014 में उनके पति को टीबी हुआ था। सदर अस्पताल में पति का इलाज चला और एक साल में पति ठीक हो गये। इलाज के दौरान सुमन ने पति की देखभाल की और आर्थिक, मानसिक और शारीरिक तौर पर कमजोर हो गईं। वर्ष 2016 में सुमन को बुखार आने लगा। खांसी नहीं आती थी, इसलिए सुमन को लगा कि उनको सामान्य बुखार है। इसी गलतफहमी में वह एक माह तक मेडिकल स्टोर से लेकर बुखार की दवा खाती रहीं। इस बीच उनकी तकलीफ और बढ़ गई। सुमन कहती हैं कि जब वह करवट बदल कर सोती थीं तो सांस लेने में तकलीफ होती थी। दिन प्रतिदिन समस्या बढ़ने लगी और वह कमजोर होने लगीं। मोहल्ले के एक चिकित्सक से इलाज करवाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। गरीबी और तंगहाली में तीन से चार हजार रुपये खर्च हो गये। जब बीमारी के कारण उनकी मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ने लगा तो वह जिला अस्पताल पहुंचीं। जिला अस्पताल के चिकित्सक ने उन्हें संभावित टीबी रोगी बताया और जांच की सलाह दी। साथ ही उनको भर्ती होने की भी सलाह दी। सुमन की हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि उन्हें 12 दिन तक जिला अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। जब स्थिति ठीक हुई तो घर पर टीबी की दवा लेनी शुरू की। एक साल तक इलाज चला और सुमन भी स्वस्थ हो गयीं।
*पोषण और अभिभावकों का सहयोग बना वरदान*
सुमन बताती हैं कि उनके माता-पिता ने उनके ठीक होने में अहम भूमिका निभायी । वह मायके चली गयीं और बच्चों से अलग रहते हुए दवा लिया । खाने में अंडा, सोयाबीन का दाना, चना, पनीर, फल, नानवेज का सेवन किया । परिवार के सहयोग, पौष्टिक भोजन और दवा से वह ठीक हो गयीं । इस समय सुमन वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था के साथ जुड़ चुकी हैं। उन्होंने बताया कि संस्था के माध्यम से वह दूसरे टीबी रोगियों की मदद करेंगी ।
*खोजे जा रहे हैं सक्रिय क्षय रोगी*
दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना और भूख न लगना टीबी के सामान्य लक्षण हैं । ऐसे लक्षण हो तो तुंरत नजदीकी सरकारी अस्पताल में जांच कराएं । जिले में नौ मार्च से 22 मार्च तक सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान चल रहा है । अभियान के दौरान अगर टीम किसी के परिवार में जाती है और लक्षणों के संबंध में जानकारी लेती है तो खुल कर जानकारी दें। समय से टीबी की पहचान होने से इलाज संभव है और जटिलताएं भी नहीं बढ़ती हैं । इलाज चलने के दौरान मरीज को पोषण के लिए 500 रुपये प्रतिमाह दिये भी जाते हैं ।
डॉ. रामेश्वर मिश्र, जिला क्षय रोग अधिकारी