हरदोई,परमेश्वर के ध्यान और भजन से ही समग्र जीवन का कल्याण संभव:अम्बरीष
शाहाबाद(हरदोई)।शिव सत्संग मण्डल के केन्द्रीय संयोजक अम्बरीष कुमार सक्सेना ने कहा कि परमेश्वर के ध्यान और भजन से ही समग्र जीवन का कल्याण संभव है।
ग्राम अहमदनगर में शनिवार की रात्रि में आयोजित आध्यात्मिक सत्संग में उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता का पुण्य पथ अनगिनत उदाहरणों से भरा पड़ा है।जहां भक्ति मार्ग पर चलकर संतों भक्तों ने परमात्मा को साधा है।महात्मा बुद्ध,स्वामी विवेकानन्द, आद्य शंकराचार्य,स्वामी दयानंद जैसे महान संतों ने इस मार्ग को सुशोभित किया और साधारण मनुष्य को भी परमेश्वर की कृपा का सहज मार्ग दिखाया।कहा कि एक गृहस्थ व्यक्ति के लिए यही उचित है कि वह परिवार, राष्ट्र और समाज के प्रति अपनी अपेक्षित जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए भक्ति मार्ग पर चलता रहे और स्वयं की क्षमतानुसार ज्ञान,भक्ति और कर्म के मार्ग पर अग्रसर हो।
कहा कि अष्टांग योग के अंतर्गत प्रथम पांच अंग (यम, नियम, आसन, प्राणायाम तथा प्रत्याहार) बहिरंग और शेष तीन अंग (धारणा, ध्यान, समाधि) अंतरंग नाम से प्रसिद्ध हैं। बहिरंग साधना यथार्थ रूप से अनुष्ठित होने पर ही साधक को अंतरंग साधना का अधिकार प्राप्त होता है। यम और नियम वस्तुतः शील और तपस्या के द्योतक हैं।कहा कि द्विज का अर्थ,दो बार जन्म से है। द्विज शब्द का प्रयोग हर उस मानव के लिये किया जाता है जो एक बार पशु के रुप में माता के गर्भ से जन्म लेते है और फिर बड़ा होने के वाद अच्छी संस्कार से मानव कल्याण हेतु कार्य करने का शिव संकल्प लेता है।
मंडल के संयोजक ने कहा कि सतसंगति से सुख होता है और कुसंग से दुःख होता है। इसलिए हमेशा वहां जाना चाहिए जहाँ पर साधु संत हो। क्योंकि वहां पर आनंद ही आनंद होता है। बताया कि वेद ज्ञान मनुष्य मात्र को पवित्र करता है।असत्य और अंधविश्वास से मुक्त होकर ही सत्य की राह पर चल सकते हैं।
कहा कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक मूल्यों को आत्मसात करते हुए भक्ति मार्ग पर चलेंगे तो निश्चित ही उस प्रकाश स्वरूप परमेश्वर का साक्षात्कार कर सकेंगे।
मंडल के जिला महामंत्री रविलाल बताया कि ईश्वर की भक्ति से ही मनुष्य भव सागर से पार हो सकता है।सत्संग,सेवा और सुमिरन से ही मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।
कहा कि सत्संग ही ऐसी पद्धति है जिससे हमारे अन्दर मनुष्यता आती है।जो भक्त पग पग पर प्रभु का स्मरण करता है।वह भक्त समाज के कल्याण में सहायक हो,परमार्थ करता है।
इस आध्यात्मिक सत्संग का शुभारंभ देव सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं सामूहिक ईश प्रार्थना से हुआ।
इस आध्यात्मिक सत्संग में
राजकुमार,कुलदीप राजपूत,राम कुमार,स्वामी दयाल,संदीप,रामलखन,राहुल,देव कुमार आदि सहित अनेक सत्संगी बंधु, बहिनें उपस्थित रहीं।समापन पर सभी सत्संगी जनों ने 26 मार्च,शनिवार को पुरवा पिपरिया में भव्य शिवोत्सव आयोजित करने का शिव संकल्प लिया।